क्या बताऊ आजकल जो हाल है !!!!
काम का ठिकाना नहीं रहता है,
बस सोच में ख्याल ही ख्याल है,
किस सोच में डूबा रहता हूँ,
देखते मेरा परोसी भी परशान है|
आपनी खबर नहीं रहती है,
राहो में चलते-चलते ठोकर लगती रहती है,
जब अपने सपने के बारे में सोचता हूँ,
आगे क्या करू....
सपनो की राह हमेशा धोंडली सी होती है,
जब तक सोच इस्धिर नहीं होती है,
अब ये इस्धिरता कैसे लाऊ,
मैं सोचता रहता हूँ |
सोच में डूबते को तिनके का सहारा चाहिए,
रहो में पथ दिखलाने वाला चाहिए,
अब इस हस्ती को कहा ढूंडू,
ये सोचता रहता हूँ|
बरसो में मिला है राह दिखलाने वाला,
हर पथ पर साथ ये रहने वाला,
मुझमे भी है बस्ता सबमे रहने वाला,
हरि कृपा का है आँचल प्यारा|||
अब सोच-समझकर सब है पाया,
जो कुछ भी है उसने दिलाया,
निमित मात्र हूँ इसलिए,
सोचता राह हु|
Wednesday, August 25, 2010
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